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यही इंतिज़ार होता : विद यू विदाउट यू (Yahi Intezar Hota : With You Without You)

By प्रभात प्रणीत (Prabhat Pranit)


GENRE

Romance

PAGES

258

ISBN

9789386305909

PUBLISHER

StoryMirror

PAPERBACK ₹250
Rs. 250
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About the Book:


प्रेम की परिभाषा खोजना मुश्किल काम है। क्या प्रेम है और क्या दोस्ती कैसे कहा जाए, कैसे अलग किया जाए। इस उलझन भरे रास्ते के अंत में क्या सिर्फ़ इंतज़ार बचता है ? क्या निशिंद, आदित्य और रश्मि एक ही बड़े ग्रह से टूटी हुईं उल्काएँ हैं? आदित्य क्या है रश्मि का ? निशिंद और रमी दोस्त हैं या कुछ और ?


प्रभात के पास मानवीय संवेदना के सबसे सूक्ष्म रेशों को पकड़ने और उनका अन्वेषण करने की क़ाबिलियत है। कथा अनायास ही पाठक को कब अपने साथ यात्रा करने को विवश कर देती है यह पता भी नहीं चलता। मानवीय जीवन की जटिलताएँ और उनसे उनके पात्रों की जूझ - सब इस तरह खुल कर सामने आता है मानों सब कुछ पाठक के सामने ही घट रहा हो। ऐसी जीवन दृष्टि विरली है, ऐसा संयोजन उनकी पीढ़ी में कम दिखता हुआ। और फिर भी मुझसे और आपसे एक क्षण भी ना दूर होता हुआ। पहले उपन्यास से ही वे उम्मीद की तरह दिखते हैं, प्रतिक्षण बढ़ रहे कोलाहल में धैर्य की तरह, और अंतरंग में निजी की तरह उपस्थित।

-- अंचित, चर्चित युवा कवि।


About the Author:


प्रभात प्रणीत चर्चित कवि- उपन्यासकार हैं। इस उपन्यास के अलावा इनका एक कविता संग्रह 'प्रश्नकाल' प्रकाशित है और दो उपन्यास शीघ्र प्रकाश्य हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कविताएँ, कहानियाँ, लेख, समीक्षाएँ प्रकाशित हैं। साहित्यिक संस्था एवं चर्चित वेब-पत्रिका 'इंद्रधनुष' के संस्थापक सह संपादकीय निदेशक हैं।


प्रभात की दृष्टि सूक्ष्म है और समाज की कुरीतियों, मानव जीवन की असंगतियों और वर्तमान जीवन की आपा-धापी और कठिनाइयों का गहन अन्वेषण करती है। प्रभात पटना में रहते हैं। 

















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